पंडित के अनुसार अपरा एकादशी व्रत करने वाले के समस्त पापों का नाश हो जाता है, और प्रभु अनंत पुण्य प्रदान करते हैं।
ऐसे करें पूजा
ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार अपरा एकादशी का अर्थ है कि इस दिन पुण्य अपार होता है। इस एकादशी का व्रत करने से लोग पापों से मुक्ति होकर भवसागर के पार हो जाते हैं। अपरा एकादशी व्रत को करने के लिए दशमी के दिन शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। इसके बाद प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर संकल्प लेना चाहिए तथा उपवास रखना चाहिए और द्वादशी को एकादशी के व्रत का पारण करना चाहिए। एकादशी की रात में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए। एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा तुलसीदल, श्रीखंड चंदन, गंगाजल व फलों के प्रसाद से करनी चाहिए। व्रत रखने वाले को परनिंदा, झूठ और छल-कपट से दूर रहना चाहिए।
यह है तिथि
इस एकादशी को अचला एकादशी और अपरा एकादशी दोनों नाम से जाना जाता है। इस एकादशी के व्रत को करने से ब्रह्म हत्या निंदा परनिंदा भूत योनि जैसे निष्कृष्ट कर्मों से छुटकारा मिल जाता है तथा कीर्ति पुण्य एवं धन धन में वृद्धि होती है। इस वर्ष अपरा एकादशी 11 मई 2018 को है
। धनपुरा में कहा गया है कि जो लोग वैद्य हो करके गरीबों का इलाज नहीं करते, ज्ञानी होकर अनाथ बच्चों को नहीं पढ़ाते हैं, राजा होकर गरीब प्रजा का कल्याण नहीं करते, स्वयं शक्ति संपन्न होकर कमजोर एवं अपाहिजों को संकट से नहीं बचाते और धनवान होकर संकट में पड़े परिवारों की सहायता नहीं करते वह नरक में जाने योग्य होते हैं। भूलवश यदि ऐसा कोई अपराध हो गया है तो अपरा एकादशी का व्रत करके इन पापों से मुक्ति मिल सकती है।
By Danik Guruji
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