15 मई 2018 को शनि जयंती पड़ रही है। पंडित बता रहे हैं कि इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करके उनसे कल्याण का आर्शिवाद कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
इस दिन हुआ शनि का जन्म
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि जयंती होती है। इस वर्ष ये जयंती 15 मई 2018 को पड़ रही है। वास्तव में इस दिन शनि देव का जन्म होने के कारण इसे शनि जन्म तिथि या शनि जयंती के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस दिन दंडाधिकारी शनी के निमित्त किया गया पूजन व दान सर्वाधिक फलदायी होते हैं। इस दिन किए जाने वाले उपायों से शनिदेवता शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और दुखों तथा कष्टों में कमी करते हुए व्यक्ति को श्रेष्ठ जीवन यापन करने का आशीष प्रदान करते है। ऐसी मान्यता है कि छाया की संतान शनि, भगवान सूर्य की अन्य संतानों की अपेक्षा प्रारंभ से ही अपने दिए गए राज्य और लोक से संतुष्ट नहीं थे। कहते हैं कि जब शनि का जन्म हुआ तो सर्वप्रथम शनि की दृष्टि अपने पिता सूर्य पर ही पड़ी थी, जिससे उन्हें कुष्ठ रोग हो गया। बड़े होने के साथ ही शनि का अपने पिता से मतभेद उत्पन्न होने लगा। इसके चलते सूर्य सदैव अपने पुत्र के प्रति चिंतित रहते थे और चाहते थे कि सनी अच्छे कर्म करें और एक आदर्श स्थापित करें
कैसे शनि की दृष्टि हुई क्रूर
शनि की दृष्टि की क्रूरता की अनेक कथायें प्रचलित हैं। जैसे कि कहा जाता है कि शनि के कारण ही पार्वती पुत्र, भगवान गणेश का सिर छेदन हुआ था, भगवान राम को वनवास हुआ था, लंकापति रावण का संहार हुआ था, पांडवों का वनवास हुआ था और शनि के कोप के कारण ही विक्रमादित्य जैसे राजा को कई कष्टों का सामना करना पड़ा और दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं। परंतु इस दृष्टि का वास्तविक कारण जानना आवश्यक है। दरसल इसका रहस्य इनकी पत्नी द्वारा दिए गए श्राप में निहित है। बताते हैं कि एक बार ऋतु स्नान से निवृत होकर शनि की पत्नी संतान की अभिलाषा से उनकी सेवा में उपस्थित हूईं। उस समय शनि समाधि में लीन थे और पत्नी का ऋतु काल व्यर्थ चला गया, जिससे आहत होकर उन्होंने श्राप दिया कि शनि की नेत्रज्योति जिन पर पड़ेगी वो नष्ट हो जाएगा। बाद में उन्हें इसका पछतावा हुआ तो उन्होंने इससे रक्षा के लिए कुछ उपाय बताये। इसीलिए मान्यता है कि शनि की कृपा पाने के लिए महिलाओं का सम्मान अत्यंत आवश्यक है।
बन रहा है विशेष योग इन उपायों से करें शनि को प्रसन्न
ऐसा माना जा रहा है कि शनि जयंती, भौमवती यानि मंगल की अमावस्या और वट सावित्री व्रत का अदभुद संयोग लगभग दो शताब्दी के बाद पड़ रहा है। ऐसे में इस दिन का महत्व अत्याधिक बढ़ जाता है। इस दिन कुछ विशंष उपाय करने से आप शनि की भरपूर कृपा दृष्टि पा सकते हैं। अतः आप दंडाधिकारी शनि के प्रकोप से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करें।
1- सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए
2- शुक्ल पक्ष के किसी भी शनिवार को दान पुण्य करना चाहिए।
3- कढ़ाही में सरसों का तेल डालकर उसमें मुख देखना चाहिए या अपने चेहरे की छाया देखनी चाहिए और इस तेल का दान कर देना चाहिए।
4- हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। शनि से पीड़ित व्यक्तियों को हनुमान जी के मंत्र और रुद्र अवतार शिव की भी पूजा आराधना करनी चाहिए।
5- शनि के निमित्त पीपल के पेड़ के नीचे सूर्यास्त के बाद दीपक जलाना चाहिए संभव हो तो दीपक में काले तिल के 9 दाने पूर्व की ओर डाल देना चाहिए।
6- शनि के दर्शन सीधे सामने से करने से बचना चाहिए।
7- शनि के मंदिर में सफेद और काले ध्वज लगाने चाहिए।
क्या ना करें
1- मांस मदिरा खाने से बचना चाहिए
2- नाखूनों को काटना और उनसे जमीन खोदने से बचना चाहिए
3- तुलसी, दुर्वा, बेल पत्र और पीपल के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए
4- कांच की वस्तुएं नहीं खरीदना चाहिए
5- नए वस्त्र और नए जूते नहीं खरीदने चाहिए
By Dainik Guruji
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