ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। स्कन्दपुराण में लिखा हुआ है कि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है।
दान पुण्य करने से मिलती है मुक्ति
3 जून शनिवार 2017 को गंगा दशहरा का मुहूर्त है। गंगा दशहरा के दिन ही माँ गंगा श्री ब्रम्हा जी के कमंडल से निकालकर पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। इसीलिए पूरे भारतवर्ष में आज के दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दिन अगर कोई मनुष्य माँ गंगा के जल में स्नान करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा में पूजन व दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। मनुष्य के अनेकों पापो से मुक्ति मिलती है। गंगा दशहरा के दिन जो भी वस्तु दान में दिया जाता है उसकी संख्या दश होनी चाहिए।
ऐसे करें गंगा दशहरा पर मां गंगा की पूजा
गंगा दशहरा के दिन जो माँ गंगा नदी तक नहीं पहुँच सकते वह पास के किसी तालाब नदी या जलाशय माँ गंगा का ध्यान करते हुये गंगा दशहरा का पूजन संपन्न कर सकते है। गंगा दशहरा के दिन स्नान करने से मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और भौतिक पाप नष्ट होते है। गंगा दशहरा का व्रत भगवान विष्णु को खुश करने के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। लोग व्रत करके जल का त्याग कर इस व्रत को करते हैं। एकादशी की कथा सुनते हैं और अगले दिन लोग दान-पुण्य करते हैं। इस दिन जल का घट दान करके फिर जल पीकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं।
इन चीजों को दान करने मिलता है दुगना फल
दान में केला, नारियल, अनार, सुपारी, खरबूजा, आम, जल भरी सुराई, हाथ का पंखा दान करते हैं। गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने-अनजाने में किए गए कम से कम दस पापों से मुक्त होता है। इन दस पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा है। इस दिन दान में सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दुगुना फल प्राप्त होता है। मां गंगा को भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि भागीरथ ने कठोर तपस्या का मां गंगा को पृथ्वी पर आने के लिये प्रसन्न किया था। जब वो पृथ्वी पर आईं तो महादेव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया था।
By Dainik Guruji
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